आपका प्रथम युद्ध क्या और किससे है?

मेरी पुकार

मेरा शस्त्र है यह कलम जो पुकारता तुम्हें,

कि  जागो मेरे हिन्दू राष्ट्र !

यह पुकार है हिन्दू गृहस्थ के लिए

यह पुकार है हिन्दू साधु के लिए

यह पुकार है हिन्दू सन्यासी के लिए

यह पुकार है प्रत्येक हिन्दू के लिए

आपका प्रथम युद्ध अपने आप से है, अपनी सोच से है, अपनी समझ से है, अपनी सुषुप्त अथवा जागृत अवस्था से है; अपने धर्म एवं अपने कर्तव्य के प्रति अपनी आस्था से है।
पहले
इन सबसे तो जूझिए, फिर सोचिएगा आपका युद्ध किससे है?

यदि उस असत्य ज्ञान के सहारे जीते रहोगे,

जो आज तक तुम्हें पढ़ाया गया है,

तो अन्याय तुम्हें अन्याय न दिखेगा,

और सत्य एवं न्याय के पक्ष में खड़े होने की प्रेरणा

तुममें कभी न जगेगी।

जहाँ तक हमारा प्रश्न है

सच्चाइयों को आप तक पहुँचाना है कर्तव्य हमारा,
उनका
प्रयोग करना है कर्तव्य आपका।

किन्तु

जब तक आप में सत्य को पहचानने की इच्छा,
उसे स्वीकार करने की मानसिक तत्परता

एवं उसके पक्ष में खड़े होने की दृढ़ता न आयेगी
,
तब तक बहुत कुछ न बदल सकेगा।